बायो डीज़ल और मक्का से इथेनॉल बनाया जाता है लेकिन अभी इस नए ईंधन के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जाँच-पड़ताल करना बाक़ी है.
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फिर एक तरफ विनोद राय कहते हैं कि लोकलेखा की परंपरागत भूमिका वित्तीय लेनदेन की जाँच-पड़ताल करना है पर क्या आम आदमी के इससे कोई सरोकार नहीं कि सरकार धन को कैसे खर्च करती है?